जैसा कि आप सभी को विदित है कि आगामी कुछ महीनों बाद लखनऊ में अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की तैयारी चल रही है और इसके क्रियान्वयन की दिशा में ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम पूरीतरह कटिबद्ध है । उल्लेखनीय है कि ब्लोगोत्सव-२०१० में अपनी सकारात्मक टिप्पणियों तथा रचनाओं के साथ शामिल प्रमुख उद्योगपति ,चिन्तक और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख सदस्य श्री सुमन सिन्हा जी ने इस आयोजन को भव्यता के साथ संचालित करने दिशा में हर प्रकार से सहयोग करने का वचन दिया है ।


अचानक दिनांक २४.०६.२०१० को श्री सुमन सिन्हा जी का मेल मुझे प्राप्त हुआ कि मैं कल यानी २५.०६.२०१० को इंडिगो की फलाईट से मुम्बई से चलकर लखनऊ आ रहा हूँ और आपके साथ एक संक्षिप्त बैठक करना चाहता हूँ , ताकि कार्यक्रम को संपादित करने की दिशा में किसी निर्णय पर पहुंचा जा सके ।


जिस समय सूचना मिली मैं भी लखनऊ से बाहर था , किन्तु मिलने की आतुरता और सुयोग बन जाने के कारण यह सकारात्मक मुलाक़ात संभव हुई ।


अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव-२०१०
की पहली तैयारी बैठक में मेरे साथ ब्लोगोत्सव के सांस्कृतिक सलाहकार श्री जाकिर अली रजनीश और लोक संघर्ष के श्री रणधीर सिंह सुमन उपस्थित थे । ज्ञातब्य हो कि श्री सुमन सिन्हा जी के समक्ष कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की गयी तथा कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों से उन्हें अवगत कराया गया, साथ ही उन्हें इस कार्यक्रम के संभावित बज़ट की जानकारी भी दी गयी । इस तैयारी बैठक में उनके द्वारा कई सुझाव सभा पटल पर रखे गए तथा आगे की रणनीति पर व्यापक चर्चा की गयी ।
उनके द्वारा दिए गए सुझाव में प्रमुख था , कि इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आर्ट ऑफ लिविंग से संवाधित कार्यक्रम भी हो और प्रत्येक सत्र की शुरुआत से पूर्व १० या १५ मिनट मेडिटेशन के लिए सुरक्षित रखा जाए , ज्यादा से ज्यादा नए और युवा चिट्ठाकारों को शामिल किया जाए । सम्मान समारोह की भव्यता पर विशेष ध्यान दिया जाए......आदि । लीजिये पढ़िए उन्ही के शब्दों में कि उन्होंने क्या कहा ?

"निश्चित रूप से अन्तराष्ट्रीय हिंदी ब्लॉग उत्सव मनाने की ये पहल प्रशंसनीय है . मैं इस पहल का स्वागत करता हूँ और इसके क्रियान्वयन में अपनी सकारात्मक सहभागिता का विश्वास दिलाता हूँ .साथ ही रविन्द्र जी को एक सुझाव भी देना चाहता हूँ कि परिकल्पना के माध्यम से एक ऐसा कार्यक्रम अंतरजाल पर चलाया जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित हो तथा उन्हें कला और संगीत की सही तालीम देते हुए समाज का जिम्मेदार नागरिक बनाया जा सके, क्योंकि कला के माध्यम से ही हम समाज को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं ..........

................सुमन सिन्हा "

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