प्रकृति के विविध रूपों की सचित्र प्रस्तुति प्रकृति के विविध रूपों की सचित्र प्रस्तुति

भारत ऋतुओं का देश है, जहां प्रकृति का वैविध्यपूर्ण सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यही कारण है, कि फूलों का देश जापान को छोड़कर आने की दु: खद स्मृति हाइकु काव्य को कभी अक्रांत नहीं कर पाई। वह इस देश को भी  अपने घर की मानिंद महसूस करती रही। यही कारण है कि हिन्दी साहित्य जगत के समस्त हाइकु प्रेमी और हाइकु सेव…

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11May2020

बच्चे तो बच्चे, बाप रे बाप : रवीन्द्र प्रभात के हाइकुबच्चे तो बच्चे, बाप रे बाप : रवीन्द्र प्रभात के हाइकु

(एक) भागते बच्चे हवा से होड़ लेके बदहवास। (दो) रार ठानूंगा जाऊंगा शिखर पे मैं न मानूंगा । (तीन) उम्मीद रख समर को जीतके आना है तुम्हे। (चार) पीठ पे बस्ता बोझ से दबा बच्चा कैसे पढ़ेगा ? (पांच) पढ़ेगी बेटी दुनिया जहान में बढ़ेगी बेटी। (छ:) आत्मबल से उन्नत शिखर पे चढ़ेगी बेटी। (सात) जहां जाएगी प्रकृति …

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29Apr2020

ब्लॉगोत्सव-२०१४, संस्कार ब्लॉगोत्सव-२०१४, संस्कार

भारतीय संस्कृति में गर्भ धारण से लेकर मृत्यू प्रयन्त 16 संस्कारों की अवधारणा पायी जाती है। इन सभी संस्कारों का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक आधार भी है। प्राचीन काल में ज्ञान, संस्कृति, सभ्यता तथा सिद्धांतों को लिपिबद्ध नहीं किया जा सका अथवा वह कालान्तर में कहीं खो गया। हाँ भारतीय जनमानस ने श्रुति तथा व…

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05Jul2014

प्रीति-नेस विवाद, ​बबूल के पेड़ पर आम........!!  प्रीति-नेस विवाद, ​बबूल के पेड़ पर आम........!!

फिल्मों की दीवानगी के दौर में कई साल पहले एक बार प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर मेरे जिला मुख्यालय में कार्यक्रम देने आई, तो मेरे शहर के काफी लोग भी बाकायदा टिकट लेकर वहां कार्यक्रम देखने गए। लेकिन उनसे एक गड़बड़ हो गई। तब नामचीन कलाकारों के लिए किसी कार्यक्रम में तीन से चार घंटे लेट से पहुंचना मा…

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25Jun2014

ब्लॉगोत्सव-२०१४ में तृतीय दिवस की प्रस्तुति ब्लॉगोत्सव-२०१४ में तृतीय दिवस की प्रस्तुति

ब्लॉगोत्सव-२०१४ में  तृतीय दिवस का कार्यक्रम   दिनांक: 04.06.2014  सुबह 10.00 बजे: अली सैय्यद और उनकी उम्मतें  (ब्लॉग: परिकल्पना पर)  अपराहन 12.00 बजे : रवीद्र प्रभात की दशकीय ब्लॉग यात्रा का प्रथम अंश  (ब्लॉग: ब्लॉग परिक्रमा पर)  अपराहन 1.00 बजे: सरस्वती प्रसाद की कृति एक थी तरु का विहंगवालोकन  …

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03Jun2014

ब्लॉगोत्सव-२०१४, द्वितीय दिवस: अज़ब-गजब अविस्कारब्लॉगोत्सव-२०१४, द्वितीय दिवस: अज़ब-गजब अविस्कार

स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के प्रथम दिवस के अज़ब-गजब कार्यक्रम में मानव के आविष्कारों के इतिहास में बहुत सारे आविष्कार देखने को मिले हैं, जो देखने में उपयोगी नहीं होता, हालांकि इन सभी आविष्कारों पर अधिक श्रम शक्तियों और भौतिक-शक्तियों का खर्च हुआ था, फिर भी इन चीज़ों के कारण हमारे नीरस जीवन…

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02Jun2014

ब्लॉगोत्सव-२०१४, प्रथम दिवस: अज़ब-गजब वर्ल्ड रिकॉर्ड ब्लॉगोत्सव-२०१४, प्रथम दिवस: अज़ब-गजब वर्ल्ड रिकॉर्ड

स्वागत है आप सभी का ब्लॉगोत्सव-२०१४ के प्रथम दिवस के अज़ब-गजब कार्यक्रम में दुनिया अनोखी जगह है क्योंकि यह इन्सानों से भरी है। और उन इन्सानों में भी कुछ तो अलग ही अनोखे हैं। आज हम दिखाने जा रहे  है कुछ ऐसे वर्ल्ड रिकॉर्ड जिसे देखने के बाद आप कह उठेंगे- क्या बात है। यह साहब हैं जर्मनी के रोल्फ बुशोल्…

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01Jun2014

हमारे स्वयं के हित में है जल व अन्य संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोगहमारे स्वयं के हित में है जल व अन्य संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग

     कुछ दिन पहले एक विवाहोत्सव में जाना हुआ। भव्य आयोजन था। खाना शुरू करने से पहले हाथ धोने के लिए पानी की तलाश की लेकिन कहीं पर भी पानी नहीं रखा गया था जहाँ सुविधापूर्वक हाथ धोए जा सकें। सब कुछ था सिवाय पानी के। पानी कहीं किसी जग या टंकी में उपलब्ध नहीं था लेकिन पानी की प्लास्टिक की बोतलें ज़रूर …

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14Feb2014

वक्त की ’आंधी’ में गुम हो गईं सुचित्रा सेनवक्त की ’आंधी’ में गुम हो गईं सुचित्रा सेन

स्मृति शेष (मृत्यु 17 जनवरी )       फिल्मों की दुनिया बड़ी  निराली होती है। ग्लैमर, चकाचैंध और शोहरत से भरपूर। नायक-नायिका जब परदे पर किसी  किरदार को जीवंत करते हैं तो न जाने कितने लोग उनके साथ अपने को एकाकार कर लेते हैं। पर वक्त के साथ इन किरदारों को निभाने वालों के किरदार भी बदल जाते हैं और कभी-क…

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17Jan2014

दलित समाज की व्यथादलित समाज की व्यथा

अभी हाल ही में मेरा एक उपन्यास आया है ताकि बचा रहे लोकतंत्र जिसकी यत्र -तत्र-सर्वत्र चर्चा हो रही है इसी चर्चा के क्रम में आज दैनिक जनासंदेश टाइम्स में पढ़िए -शिवानी श्रीवास्तव की वेवाक राय इस पुस्तक के सन्दर्भ में...... …

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11Jun2011
 
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